Sunday, 4 September 2016

हमारा देश हमारी संस्कृति



                                                                  "हिंदी या अंग्रेजी"


                           बहुत अजीब लगा उससे मिल कर फिर मैने सोंच कि क्या यही मेरे देश की संस्कृति है। 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ पर क्या वास्तविकता यही है 1947 से लेकर आज तक हम लोग आजादी का जश्न मनाते आ रहे है पर क्या वास्तव में हम स्वतंत्र है ? शायद नहीं.......! मित्रों अब सवाल यह उठता है कि क्यों नहीं, यह बात हम सभी को जानने की आवश्यकता है। 
  
                         मित्रों आज मैं "अंकित त्रिपाठी" आप सब से ऐसे विषय पर चर्चा करने जा रहा हूं जिसको आज हम भूलते जा रहे हैं, और वह है हमारी संस्कृति मित्रों हमारे देश में अंग्रेजी सरकार से पहले या यूं कहें कि जब हमारा देश अंग्रेजो से मुक्त था उस समय हमारे देश की संस्कृति क्या थी और जब अंग्रेजों ने ब्रिटिश शासन की स्थापना की अपने देश पर शासन किया और अन्दर ही अन्दर अपने देश को जिसे सोने की चिड़िया कहते थे उसे कमजोर बना दिया, और 15 अगस्त 1947 के बाद उन्होंने कहा कि हम जा तो रहे है पर अपनी छवि और अपनी संस्कृति यहीं पर छोड़ कर जा रहे है और आने वाले समय में इसी देश के लोग अपनी संस्कृति को छोड़ हमारी संस्कृति को अपनाएंगे। 

                                       
                               मित्रों वास्तविकता यही है कि आज हम उन्ही के बनाये नियमों को अपनाते है और अपने देश की राष्ट्र भाषा जिसे हम हिंदी कहते हैं उसे छोड़ कर अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते जा रहे हैं। हम लोग उन्ही की वेश भूषा, उन्हीं के खान पान, उन्हीं की तरह की जीवन शैली यहाँ तक उन्हीं के स्वाभाव को अपनाते जा रहे है। 
                
                                          मित्रों मुझे आज इस विषय पर चर्चा करने की धुन तब सवार हुई जब मै एक व्यक्ति से मिला जो की मुम्बई का रहने वाला था मित्रों आश्चर्य मुझे तब हुआ जब मैने उसे हिंदी में लिखने के लिए कहा उस व्यक्ति को हिन्ही भाषा का ज्ञान नहीं था सिर्फ हिंदी में बोलना या बात करना ही हिंदी भाषा का ज्ञान नहीं होता अपितु हमें हिंदी में सब कार्य करना आना चाहिये जैसे कि पढ़ना, लिखना, बोलना, और बात करना। मित्रों उस व्यक्ति ने मुझे बहुत ही प्रभावित किया और इस बात का आभास हुआ की किस तरह हम अपनी संस्कृति, अपने आदर्श, और अपने संस्कारों को भूलते जा रहे हैं। 
                    
                                      मित्रों हम लोग अंग्रेजों द्वारा बनाए गए नए वर्ष के प्रारम्भ की तिथि को उन्हीं के अनुसार मानते आ रहे हैं, और अपने नए सम्वत के प्रारम्भ की तिथि को भूल गए। मित्रों सिर्फ यही नहीं अपितु उन्हीं के बनाये गए त्योहारों को भी हम लोग अपना रहे है। मित्रों किसी भी देश का नागरिक चाहे वह अमेरिका का हो या इंग्लैंड का वे सिर्फ अपनी ही राष्ट्र भाषा का प्रयोग करते है कहे वो अपने घर में या अपने देश में हो यहाँ तक यदि वह दूसरे देश में भी जाता है तब भी वह अपनी ही राष्ट्र भाषा का प्रयोग करता है मित्रों अब सवाल यह उठता है की वह अपनी राष्ट्र भाषा का प्रयोग क्यों करता है मित्रों क्योंकि उन्हे अपनी राष्ट्र भाषा से प्रेम है पर क्या हम लोगों को है कदाचित नहीं !


          
                                 मित्रों मैं  ये नहीं कहता की अंग्रेजी भाषा के आप विपरीत जाएँ, अंग्रेजी सीखें पर उसे अपनी दिनचर्या न बनायें। मित्रों एक तरफ हम यह भी कहते है की हमें भारतीय होने पर और अपने देश पर गर्व है तो दूसरी तरफ अपने देश की राष्ट्र भाषा का मजाक भी उड़ाते है। 
                               
                               मित्रों हमारे देश के प्रधानमंत्री "श्री नरेंद्र मोदी " जी ने भी दूसरे देश में जा कर अपनी ही राष्ट्र भाषा हिंदी में ही भाषण दिए और अपने देश में भी वो हिंदी का ही प्रयोग करते है। मित्रों विख्यात कॉमेडियन "कपिल शर्मा" जिन्हें आप सभी जानते हैं उन्होंने भी हिंदी भाषा का ही समर्थन किया है देखिये इस विडियो में।


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मित्रों आज मैं  अंकित त्रिपाठी आप सब से सिर्फ इतना ही अनुरोध करना कहता हूँ कि अपने देश की संस्कृति को न भूलें और अपने देश की राष्ट्र भाषा हिंदी का ही प्रयोग करें। 

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                                                                        धन्यवाद........!



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